मुंबई पुलिस का ठोस सुराग का दावा

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मुंबई/नई दिल्ली/अहमदाबाद/कोलकाता/भोपाल/रांची/लखनऊ/मुरादाबाद/जम्मू। बीते बुधवार को मुंबई में हुए तीन आतंकी विस्फोटों के मामले में पुलिस को कुछ ठोस सुराग हाथ लगे हैं। इनके आधार पर वह उन आतंकियों तक शीघ्र पहुंचने की उम्मीद कर रही है, जिन्होंने इन विस्फोटों को अंजाम दिया है। वैसे, विस्फोट में मानव बम के शामिल होने की आशंका को मुंबई पुलिस ने सिरे से खारिज कर दिया है। 12 मिनट में हुए इन तीन विस्फोटों में मरने वालों की संख्या 19 हो चुकी है।

मुंबई पुलिस के आतंकवाद निरोधक दस्ते के प्रमुख राकेश मारिया ने शनिवार को मीडिया से बात करते हुए कहा कि उक्त तीन विस्फोट स्थलों में एक के पास मौजूद एक प्रत्यक्षदर्शी से कुछ महत्वपूर्ण सुराग मिले हैं। इनके आधार पर एक संदिग्ध का रेखाचित्र तैयार करवाया जा रहा है। इस काम में सीसीटीवी कैमरों से प्राप्त फुटेज का भी इस्तेमाल किया जा रहा है।

मारिया के अनुसार ये रेखाचित्र प्रेस को जारी नहीं किया जाएगा। इसका उपयोग विस्फोट कांड की जांच में लगी पुलिस टीमें ही करेंगी। उन्होंने इस बात का खुलासा नहीं किया कि उक्त प्रत्यक्षदर्शी तीन में कौन से विस्फोट स्थल के पास मौजूद था। लेकिन उनका मानना है कि अब तक की गई पूछताछ एवं इकट्ठा सबूतों के आधार पर कुछ सुराग हाथ लगे हैं, जिससे जांच दल एक निश्चित दिशा में आगे बढ़ रहा है।

मारिया ने बताया कि एटीएस की टीमें यूपी, गुजरात, दिल्ली, आंध्र प्रदेश, बंगाल, कर्नाटक और एमपी गई हैं। वहां स्थानीय पुलिस बलों के साथ कुछ संदिग्धों से पूछताछ की जा रही है। मारिया ने बुधवार के विस्फोटों में किसी फिदायीन के शामिल होने से इंकार करते हुए कहा कि तीनों विस्फोटक उच्च तीव्रता वाले थे। इन्हें धातु के डिब्बों में रखकर बनाया गया था, लेकिन यह स्पष्ट नहीं हो सका है कि ये डिब्बे स्टील के थे या एल्यूमिनियम के।


उनके अनुसार, विस्फोट स्थलों के निकट लगे सीसीटीवी की गहन जांच की जा रही है। इनसे प्राप्त तस्वीरों को बड़ा करके देखने योग्य बनाने में अभी एक दिन का समय और लग सकता है। इसके बाद ही सीसीटीवी में कैद संदिग्धों के चेहरे देखने में सफलता मिलेगी।

विस्फोट स्थलों के पास ही था आतंकियों का ठिकाना

मुंबई में हुए तीन बम विस्फोटों की गुत्थी सुलझाने में जुटे जांच अधिकारियों का मानना है कि आतंकवादियों ने विस्फोटकों को तैयार करने के लिए सम्भवत: विस्फोट स्थलों के नजदीक ही कहीं अपना 'सुरक्षित ठिकाना' बनाया था।

सूत्रों के मुताबिक जांच अधिकारी इस पहलू पर भी काम कर रहे है कि विस्फोटों में देसी बमों का इस्तेमाल किया गया, जिनमें अमोनियम नाइट्रेट और तेल का इस्तेमाल किया गया था। आइईडी तैयार करना काफी खतरनाक काम होता है क्योंकि एक छोटी सी चिंगारी से ही विस्फोट होने का खतरा बना रहता है, इसलिए काफी दूर से इसे लाना कठिन भी है और खतरनाक भी। सूत्रों के मुताबिक मुंबई और उसके आस-पास के इलाकों में विभिन्न स्थलों पर पुलिस की गश्त जारी रहती है, इसलिए आतंकवादी बम के साथ पकड़े जाने का खतरा मोल नहीं ले सकते थे।

मुंबई में बुधवार को तीन जगहों पर हुए बम विस्फोटों में दो स्थल तो एक दूसरे से केवल एक किलोमीटर की दूरी पर ही स्थित है और तीसरा विस्फोट स्थल दादर लगभग 12 किलोमीटर दूर है। इसका मतलब यह है कि यदि विस्फोट स्थलों के निकट कोई सुरक्षित ठिकाना बनाया गया होगा, तो वह झावेरी बाजार या फिर ओपेरा हाउस के आस-पास हो सकता है। सूत्रों का यह भी कहना है कि घटनास्थलों से एकत्र किए गए सीसीटीवी फुटेज की जांच के बाद ऐसे संकेत मिले है कि मुंबई में तीन जगहों पर विस्फोटक रखने वाले आतंकवादी सम्भवत: स्थानीय नहीं हो सकते। सूत्रों ने बताया कि खुफिया विभाग को फरवरी में हैदराबाद से ऐसी सूचनाएं मिली थीं कि इंडियन मुजाहिदीन के कुछ सदस्य हमले की योजना बना रहे है। इससे पहले, केंद्रीय गृह सचिव आरके सिंह ने शुक्रवार को कहा था कि मुंबई विस्फोट का सुराग ढूंढने के लिए जांच एजेंसियां सीसीटीवी फुटेज की 11 सीडियों की जांच कर रही है। सिंह ने कहा था कि जिस स्कूटर में बम रखा गया था उसकी पहचान कर ली गई है।

मरने वालों की संख्या 19 हुई

गत बुधवार को मुंबई में हुए बम धमाकों में घायल एक व्यक्ति की शनिवार को मौत हो जाने के बाद मरने वालों की कुल संख्या 19 हो गई। अधिकारिक सूत्रों ने बताया कि 42 वर्षीय बाबूलाल दास ने सैफी अस्पताल में इलाज के दौरान सुबह 3:00 दम तोड़ दिया। इसके अलावा बम धमाकों में गंभीर रूप से घायल हुए 20 लोगों का शहर के विभिन्न अस्पतालों में इलाज चल रहा है।

इससे पहले शुक्रवार को अविनाश तामका [23] नाम के कारोबारी की मौत हो गई थी। वह बांबे अस्पताल के गहन चिकित्सा कक्ष [आइसीयू] में भर्ती थे।

दानिश रियाज से पूछताछ करेगी मुंबई एटीएस

देश की आर्थिक राजधानी मुंबई में बीते बुधवार को हुए सिलसिलेवार बम धमाकों की जांच में मुंबई एटीएस इडियन मुजाहिदीन और सिमी के सक्रिय सदस्य दानिश रियाज से पूछताछ करेगी। अहमदाबाद बम धमाकों के आरोपी दानिश को गुजरात पुलिस ने 21 जून को वडोदरा स्टेशन पर तब धर-दबोचा था, जब वह जगन्नाथ रथयात्रा से पहले यहा बम धमाके की साजिश में जुटा था। दानिश इडियन मुजाहिदीन का मुख्य सूत्रधार माना जाता है। वह इस आतंकी संगठन के मास्टर माइंड रियाज भटकल तथा इकबाल भटकल का करीबी है।

एक समय दानिश एक आइटी कंपनी में नौकरी करता था। झारखंड के राची में मंजर इमाम समेत करीब 25 युवकों को उसने इडियन मुजाहिदीन के स्लीपर सेल के रूप में तैयार किया था। दानिश अहमदाबाद में हुए श्रृंखलाबद्ध बम धमाकों में आरोपी है। रिमाड पूरा होने के बाद शनिवार को उसे अहमदाबाद के मेट्रो कोर्ट में पेश किया गया है।

इस बीच मुंबई प्रकरण में जाच के लिए गुजरात पहुची मुंबई एटीएस टीम दानिश से पूछताछ करेगी। माना जा रहा है कि राची के रहने वाले दानिश द्वारा तैयार स्लीपर समूह के युवकों ने मुंबई धमाकों को अंजाम दिया है।

पुलिस के अनुसार, दानिश ने इडियन मुजाहिदीन को फिर से खड़ा करने में अहम भूमिका निभाई है। आइएम के फिर से संगठित होने का पहली बार रहस्योद्घाटन मध्यप्रदेश पुलिस द्वारा 5 जून को पकड़े गए डॉ. अबु फैजल समेत सिमी के 8 सदस्यों की गिरफ्तारी से हुआ था। उन्हीं से पूछताछ के बाद दानिश पुलिस की गिरफ्त में आया था।

कोलकाता में आतंकियों को धन देने वालों की खोज

मुंबई में हुए विस्फोट के तार कोलकाता से जुड़े होने के सबूत मिलने के बाद सुरक्षा व खुफिया एजेंसियां लगातार सक्रिय हैं। महाराष्ट्र एटीएस [आतंकवाद निरोधी दस्ता] के दिए सुरागों के आधार पर इंडियन मुजाहिदीन के सरगना आमिर रेजा खान के कोलकाता में मौजूद गुर्गो की तलाश में लगातार छापेमारी की जा रही है। पता लगाया जा रहा है कि बंगाल के वे कौन से चार उद्योगपति हैं, जिनसे इंडियन मुजाहिदीन के स्लीपर सेल ने धन उगाही की। बुधवार से पूर्व दस दिनों के अंदर कोलकाता से कितने और कौन-कौन लोग महाराष्ट्र गए हैं, इसके लिए ट्रेन और विमान यात्रियों की सूची की भी पड़ताल की जा रही है।

धमाके के पीछे कोलकाता के पार्क सर्कस के बेनियापुकुर के रहने वाले अब्दुल्लाह उर्फ नाटा का नाम आते ही शुक्रवार को उसके घर पर एसटीएफ ने छापेमारी की, लेकिन कुछ हाथ नहीं लगा। पड़ोसियों के मुताबिक शुक्रवार सुबह से ही उसके घर कोई भी सदस्य नहीं देखा गया। अब्दुल्लाह के परिजन कहां गायब हो गए, इसका पता नहीं चला है। वैसे अब्दुल्लाह के घर की तलाशी में एसटीएफ को कुछ लोगों के पते और फोन नंबर मिले हैं। उनके आधार पर जांच को आगे बढ़ाया जा रहा है।

करीब एक वर्ष पहले कोलकाता के पांच उद्योगपतियों से आतंकी संगठनों द्वारा मोटी रकम की मांग का मामला प्रकाश में आया था। उस वक्त बताया गया था कि कराची से उद्योगपति के पास फोन आया था। कोलकाता एसटीएफ [विशेष कार्य बल] अब उसकी भी पड़ताल कर रहा है। बताया गया है कि शनिवार को मुंबई एटीएस की तरफ से कोलकाता के एसटीएफ अधिकारियों से बातचीत हुई, जिसमें अधिकारियों ने कोलकाता आकर तफ्तीश करने की बात कही है।

मध्य प्रदेश में एटीएस की नजर अबू फैसल पर

मध्य प्रदेश पुलिस और एटीएस [आतंकवाद निरोधी दस्ता] द्वारा पिछले दिनों पकड़े गए इंडियन मुजाहिदीन और सिमी के आतंकी मुंबई में हुए सीरियल ब्लास्ट की महत्वपूर्ण कड़ी हो सकते हैं। इस सिलसिले में मुंबई एटीएस की एक टीम कुख्यात आतंकी अबू फैसल उर्फ डॉ. फरहान व अन्य से पूछताछ करने देवास आ रही है। खुफिया एजेंसियां फैसल से दानिश और एक दर्जन प्रशिक्षित युवकों के बारे में पूछताछ करेंगी। अधिकारियों को शक है कि रांची और आसपास के क्षेत्रों के युवकों का इस्तेमाल धमाकों के लिए किया गया है। फिलहाल फैसल सहित तीन आतंकी देवास पुलिस की रिमाड पर है, जिनसे पूछताछ की जा रही है।

उल्लेखनीय है कि मध्यप्रदेश एटीएस ने जून माह में ऑपरेशन विजय चलाकर आइएम और सिमी के दस आतंकियों को गिरफ्तार किया था।

रांची से गायब हुआ मंजर

मुंबई में ब्लास्ट के बाद पिछले तीन दिनों से बरियातू के जिस मंजर इमाम को पुलिस ढूंढ़ रही है, उसके बारे में कुछ अता-पता नहीं मिल पाया है। सुरक्षा एजेंसियों का दावा है कि मंजर आतंकी संगठन इंडियन मुजाहिदीन से जुड़ा हुआ है। कल तक जो परिजन मंजर को सुरक्षित स्थान पर होने का दावा कर रहे थे, वही शनिवार को कह रहे थे कि मंजर से उनका संपर्क नहीं हो पा रहा। हालांकि, परिजन यह भी कह रहे हैं कि अगर पुलिस उन्हें मंजर के आतंकी संगठन से जुड़े होने के सबूत दिखाए तो वे खुद मंजर को ढूंढ़ निकालेंगे।

परिजनों के अनुसार शुक्रवार की शाम 5:00 बजे तक मंजर बरियातू क्षेत्र में ही था और उससे संपर्क भी हो रहा था, लेकिन इसके बाद उससे संपर्क ही नहीं हो पा रहा। परिजन इस बात से सशंकित हैं कि कहीं मंजर को एनआइए [नेशनल इंवेस्टिगेशन एजेंसी] ने गिरफ्तार तो नहीं कर लिया। रांची पुलिस इस संबंध में किसी भी तरह की जानकारी होने से साफ इंकार कर रही है।

मंजर के घरवालों का आरोप है कि रांची पुलिस मंजर का आत्मसमर्पण कराने के लिए उन पर दबाव बना रही है। मंजर का सुराग ढूंढ़ने में नाकाम पुलिस अब मंजर और उसके परिजनों के फोन कॉल्स का डिटेल्स खंगाल रही है। मंजर के दोस्तों के फोन पर सर्विलांस पर डाले गए हैं ताकि कुछ सुराग मिल सके।

झावेरी बाजार में मिले स्कूटर के मालिक से पूछताछ

महाराष्ट्र आतंक निरोधक दस्ता [एटीएस] ने झावेरी बाजार विस्फोट स्थल के बिल्कुल पास मिले एक स्कूटर के मालिक से पूछताछ की है। इसका मकसद 13 जुलाई को हुए विस्फोट की घटनाओं की गुत्थी सुलझाना है। एमएच-01-एएस 718 नंबर वाला यह भूरे रंग यह स्कूटर [होंडा एक्टिवा] विस्फोट स्थल से बहुत करीब था और विस्फोट में क्षतिग्रस्त हो गया था। यह स्कूटर अशोक जैन नाम के एक व्यक्ति की है जो नागपाड़ा इलाके में रहते हैं।

अशोक के भतीजे अनिकेत जैन की झावेरी बाजार में स्वर्णाभूषण की दुकान है। उसने बताया कि उसके चाचा ने बुधवार को दिन के करीब 3:00 बजे वह स्कूटर विस्फोट स्थल के पास खड़ी किया था। वहां शाम 6 बजकर 55 मिनट पर विस्फोट हुआ था। अनिकेत ने बताया कि एटीएस ने अशोक को स्कूटर के सभी कागजात के साथ शुक्रवार को नागपाड़ा स्थित अपने कार्यालय में बुलाया था। उस स्कूटर का बीमा दो माह पहले ही समाप्त हो गया था। हमलोगों को पता भी नहीं था कि उसका बीमा समाप्त हो चुका है। बाइक का अगला हिस्सा विस्फोट में पूरी तरह बर्बाद हो गया है और वह अभी पुलिस के कब्जे में है।

पुलिस को संदेह है कि विस्फोट को आइईडी [इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस] के जरिए अंजाम दिया गया। आइईडी को वहां किसी स्कूटर पर पड़े छाते में रखा गया था।

धमाकों का यूपी से अब तक नहीं मिला कोई कनेक्शन

मुंबई ब्लास्ट के चौथे दिन भी एटीएस की टीमें अभी सफलता की तलाश में हैं। ब्लास्ट का यूपी कनेक्शन तलाश रही एटीएस को कोई सुराग नहीं मिला है। इस दौरान एटीएस व एसटीएफ की टीमों ने राज्य के विभिन्न जेलों और संदिग्ध ठिकानों पर पड़ताल और पूछताछ की, मगर ब्लास्ट से जुड़ा कोई तथ्य हासिल नहीं हुआ।

मुंबई ब्लास्ट के बाद एटीएस के साथ ही एसटीएफ ब्लास्ट का यूपी कनेक्शन तलाशने में जुट गई। चूंकि बीते वर्षो में गुजरात, राजस्थान, दिल्ली व आंध्र प्रदेश में हुए विस्फोट का तार उत्तर प्रदेश से जुड़ा रहा, इसलिए मुंबई की एटीएस अपनी टीमों के साथ विस्फोट के अगले ही दिन यूपी पहुंच गई।

यूपी एटीएस ने खुद ही इस दिशा में सक्रियता बरती और फैजाबाद, इलाहाबाद, गोरखपुर, मऊ, मेरठ, आजमगढ़, मुरादाबाद, बरेली, मथुरा, अलीगढ़ समेत कई जिलों में छापेमारी और पड़ताल की। एटीएस ने सर्विलांस के जरिए लोगों की संदिग्ध बातचीत पर भी कान लगाया। मददगार के रूप में चिन्हित संदिग्धों की गतिविधियों पर भी ध्यान केन्द्रित किया, मगर कहीं कोई सुराग नहीं मिल सका।

एसटीएफ को इस दौरान गोरखपुर में रेलवे स्टेशन के पास मुंबई के अंडरव‌र्ल्ड सरगना रवि पुजारी गैंग के दो शूटर रियाज शेख व बिरजू गुप्ता को पकड़ने में सफलता मिली।

दरअसल सर्विलांस पर इन शूटरों की बातचीत को सुनने और बस्ती से सुराग मिलने के बाद ही इन्हें पकड़ा जा सका। शुरू में एसटीएफ का शक इनके आतंकी होने का था, लेकिन पकड़े जाने के बाद कहानी दूसरी निकली।

इसके अलावा मुंबई से आई टीम ने स्थानीय एसओजी टीम की मदद से फैजाबाद जिले के कुमारगंज थाना क्षेत्र में रहने वाले शकील के घर छापा मारकर एक अपराधी को गिरफ्तार करने में सफलता प्राप्त की। विशेष पुलिस महानिदेशक बृजलाल ने शनिवार को फिर दुहराया कि फिलहाल मुंबई ब्लास्ट का कोई यूपी कनेक्शन नहीं है।

धमाके के दिन की फोन कॉल्स पर सुरक्षा एजेंसियों की नजर

मुंबई में बुधवार को हुए बम धमाकों की तह तक जाने के लिए देश में तमाम जगह फोन कॉल का ब्योरा खंगाला जा रहा है। उत्तर प्रदेश में मुरादाबाद और जेपी नगर जिले के एक-एक बीएसएनएल टॉवर भी सघन निगरानी के दायरे में हैं।

खुफिया एजेंसियों के मुताबिक, इन दोनों जिलों के दो टेलीफोन टॉवरों के जरिए बुधवार शाम 7.30 बजे से 11:30 बजे तक पाकिस्तान, बांग्लादेश, खाड़ी देशों व जम्मू-कश्मीर के लिए दर्जनों कॉल की गई हैं। उसके अगले दिन भी यहां से इन स्थानों के लिए काफी लोगों ने संपर्क जोड़ा है। इन स्थानों के लिए फोन मैसेज की तादाद भी बढ़ी हुई मिली। ऐसी कॉल से जुड़े दो बीएसएनएल टॉवर में एक मुरादाबाद के देहात और एक जेपी नगर जनपद में है।

हालांकि टेलीकॉम के नजरिए से मुरादाबाद और जेपी नगर एक ही जिला हैं। बताते हैं कि संदेह के दायरे में आई सभी कॉल प्रीपेड मोबाइल फोन के जरिए की गई हैं। मुंबई की घटना के बाद जांच टीमों ने विदेश फोन करने वालों के मोबाइल नंबरों पर नजरें टिका दी हैं। चंडीगढ़ के मुख्य एक्सचेंज से इस टॉवर का पूरा ब्योरा तलब किया गया है। सर्विलांस के माध्यम से भी फोन करने वालों पर नजर रखी जा रही है।

बता दें कि करीब दो साल पहले जेपीनगर जिले में एक फर्जी वोटर आइडी के जरिए हासिल किए गए बीएसएनएल पोस्टपेड फोन कनेक्शन से 19 दिन में 19 लाख की विदेशी कॉल करने की बात सामने आई थी। इनमें अधिकांश कॉल पाकिस्तान, अरब और इंडोनेशिया की थीं। मामले की पड़ताल के बाद पुलिस ने मास्टरमाइंड के रूप में दिल्ली में रहने वाले आजमगढ़ के एक युवक को गिरफ्तार किया था।

धमाके बड़े हमले का पूर्वाभ्यास तो नहीं

गत बुधवार को यहां हुए बम विस्फोट किसी बड़ी वारदात से पहले किया गया पूर्वाभ्यास तो नहीं है? देश के एक जानेमाने सुरक्षा विशेषज्ञ का तो यही मानना है। विस्फोट के लिए इस्तेमाल किए गए विस्फोटक की कम मात्रा के आधार पर उन्होंने यह निष्कर्ष निकाला है।

आतंकवाद निरोधक विशेषज्ञ और युद्ध के अनुभवी सेवानिवृत्त कर्नल एम पी चौधरी का मानना है कि ये विस्फोट ऐसे किए गए कि नुकसान से अधिक लोगों में दहशत फैले। खासकर मुंबई में सोने और हीरे का प्रतिदिन दस अरब रुपये का कारोबार होता है। कुछ ही अंतराल पर विस्फोटो के लिए इसी कारोबार से जुड़े स्थानों को चुना गया। झावेरी बाजार के अलावा दादर की भीड़ वाले इलाके में जहां विस्फोट हुआ वहां भी आभूषण की बहुत सारी दुकानें हैं।

भारत के पहले एंटी हाईजैक फोर्स और स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप की स्थापना के पीछे मुख्य रूप से चौधरी का ही हाथ रहा है। कर्नल चौधरी ने राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड [एनएसजी] की भी अगुआई की है। चौधरी का कहना है कि मेरा मानना है कि यह 26/11 के मुंबई हमले के करीब तीन साल बाद किसी ऐसी बड़ी वारदात को अंजाम देने के पहले किया गया पूर्वाभ्यास है जिसका हम अभी अंदाजा नहीं लगा पा रहे हैं।

एक साक्षात्कार में उन्होंने कहा कि यह एक सर्वाधिक महत्वपूर्ण पहलू है, जिस पर जांच एजेंसियों को ध्यान केंद्रित करना चाहिए ताकि ऐसी वारदात की पुनरावृत्ति रोकी जा सके। उन्होंने कहा कि बहुत संभव है कि ये विस्फोट किसी छोटे और अपेक्षाकृत कम चर्चित या किसी चर्चित आतंकी संगठन से अलग हुए गुट ने किए हों। अपने विश्लेषण को सही ठहराने के लिए चौधरी कहते हैं कि तीनों विस्फोटों में करीब एक किलो अमोनियम नाइट्रेट का इस्तेमाल किया गया।

पुलिस की मानें तो विस्फोट का मकसद लोगों को मारना नहीं बल्कि उस क्षेत्र के लोगों में अधिक से अधिक दहशत फैलाना था। उनका कहना है कि स्थानीय अंडरव‌र्ल्ड और अंतरराष्ट्रीय माफिया की संलिप्तता के नजरिए से भी इसकी बारीकी जांच करने की जरूरत है। यह भी पता लगाने की जरूरत है कि क्या हाल में हीरा और ज्वेलरी बाजार को वसूली के लिए धमकी मिली थी?

चौधरी का मानना है कि इसके पीछे कोई छोटा गुट, जिसे सीमा पार से प्रशिक्षण मिला हो, हो सकता है। यह भी हो सकता है कि कोई आतंकी घुसपैठ कर आया हो और बम बनाने का प्रशिक्षण दिया हो और ये विस्फोट पूर्वाभ्यास के तहत किए गए हों।

मुंबई पर हमले के बाद बढ़ी एलओसी पर सतर्कता

मुंबई में बम धमाकों के बाद सेना ने एलओसी पर सतर्कता बढ़ा दी है, ताकि कोई भी आतंकवादी घुसपैठ कर किसी भी अप्रिय घटना को अंजाम न दे सके। इस बात की जानकारी जनरल आफिसर इन कमांड ऑफ व्हाइट नाइट कोर ले. जनरल जेपी नेहरा ने दी।

नगरोटा गैरीसन में पौधारोपण कार्यक्रम के बाद पत्रकारों से बातचीत करते हुए ले. जनरल नेहरा ने कहा कि अभी तक सीमा पार से कोई भी हलचल नहीं दिखी है, बावजूद इसके सेना किसी भी प्रकार के हालात से निपटने के लिए पूरी तरह से तैयार है।

उन्होंने कहा कि अगर सीमा पार से कोई भी कार्रवाई हुई तो उसका मुंह तोड़ जवाब दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि जांच एजेंसियां अपना काम कर रही हैं और कोई भी पुख्ता सूचना आने पर भी कार्रवाई होती है। नेहरा ने कहा कि 400 से 500 आतंकवादी 42 ट्रेनिंग कैंपों में प्रशिक्षण हासिल कर घुसपैठ की तैयारी में हैं। मगर सेना द्वारा चौकसी बरतने, आधुनिक उपकरण इस्तेमाल करने से आतंकी घटनाओं पर अंकुश लगा है।

उन्होंने कहा कि हिजबुल मुजाहिदीन और लश्कर के 175 आतंकवादी देश के भीतरी क्षेत्रों में मौजूद हैं लेकिन इनमें से अधिकतर निष्क्रिय हैं। देश के भीतरी क्षेत्रों में गतिविधियां चला रहे शेष आतंकियों का पता लगा लिया जाएगा और उनका खात्मा कर दिया जाएगा।

नेहरा ने कहा कि इस वर्ष जनवरी महीने के बाद अभी तक कोई भी आतंकवादी घुसपैठ करने में सफल नहीं हो पाया है।

लेफ्टिनेंट जनरल ने यह भी कहा कि कुछ समय से आतंकियों ने अपनी रणनीति में बदलाव किया है और अब वह एक दूसरे से संपर्क करने के लिए मोबाइल का इस्तेमाल नहीं करते हैं। अब वह इंटरनेट, फेसबुक का इस्तेमाल कर रहे हैं।

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