टीम में जगह को लेकर लक्ष्मण हैं आश्वस्त

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समरसेट। टेस्ट क्रिकेट में कई बार टीम इंडिया के लिए संकटमोचक साबित हो चुके स्टायलिश बल्लेबाज वीवीएस लक्ष्मण के मन में अब टीम में जगह को लेकर कोई शक नहीं है। लक्ष्मण की माने तो इसी के चलते उन्हें अपना स्वाभाविक खेल खेलने की आजादी मिली है।

आस्ट्रेलिया के खिलाफ 2001 में ईडन गार्डन पर 281 रन की पारी खेलने के बावजूद एक दौर ऐसा भी था जब लक्ष्मण का अंतिम एकादश में चयन पक्का नहीं रहता था। लक्ष्मण ने कहा, पिछले चार साल में पहले अनिल [कुंबले] भाई और फिर महेंद्र सिंह धौनी और कोच गैरी क‌र्स्टन ने मुझे जगह को लेकर आश्वस्त किया। इससे मुझे कुदरती खेल दिखाने की आजादी मिली और मैं अच्छा प्रदर्शन कर सका। उन्होंने कहा, मेरे पहले चार साल में 1996 से 2000 के बीच मैं पारी की शुरुआत करके अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने की कोशिश करता था लेकिन दो पारियों में नाकाम रहने पर लोग कहते थे कि मैं नियमित सलामी बल्लेबाज नहीं हूं। मुझे बार-बार टीम से बाहर कर दिया जाता। इंग्लैंड के खिलाफ ला‌र्ड्स पर 21 जुलाई से शुरू हो रही टेस्ट सीरीज की तैयारी में जुटे लक्ष्मण ने कहा, मैंने अभी तक इंग्लैंड के खिलाफ शतक नहीं बनाया है और ना ही मेरी मौजूदगी में टीम ला‌र्ड्स पर जीती है। मैं दोनों उपलब्धि हासिल करना चाहता हूं। लक्ष्मण ने वेस्टइंडीज में 2007 में हुए विश्व कप के बाद से 43 टेस्ट खेलकर 57.33 की औसत से 3268 रन बनाए हैं। वहीं पहले 80 टेस्ट में उन्होंने 42.42 की औसत से 4878 रन बनाए हैं। उन्होंने 1996 से 2000 तक 16 टेस्ट में 24.07 की औसत से 626 रन बनाए। 2004 से 2007 तक 31 टेस्ट में उन्होंने 37.11 की औसत से 1596 रन जोड़े हैं। वह ऐसा दौर था जब पांच गेंदबाजों को टीम में रखने पर उन्हें बाहर कर दिया जाता।

अपनी स्टायलिश बल्लेबाजी के लिए मशहूर लक्ष्मण ने कहा, पहले चार साल ने मुझे काफी मजबूत बना दिया। मैंने समझ लिया कि आप उन्हीं चीजों पर ध्यान दे सकते हैं जो आपके हाथ में हैं। उन्होंने कहा, लोग क्या कहते हैं, उससे मुझे फर्क नहीं पड़ता। मैं कड़ी मेहनत करता हूं और ईमानदारी से तैयारी करता हूं। नतीजे खुद ब खुद आते हैं। लक्ष्मण के मुताबिक, क्रिकेट में कई बार नतीजे अनुकूल रहते हैं तो कई बार नहीं। नतीजों पर पूरा फोकस रखने की बजाय प्रक्रिया पर ध्यान देना जरूरी है। मैं हर पारी में सकारात्मक सोच के साथ उतरता हूं।

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